tag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post1513377280083186116..comments2023-09-10T00:45:43.086-07:00Comments on दिल्ली दरभंगा छोटी लाइन...: युवा कवि सम्मान समारोहAvinash Dashttp://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-58538894216626764262007-08-20T00:01:00.000-07:002007-08-20T00:01:00.000-07:00मेरे तईं यह कविता है . पिछले पच्चीस-तीस वर्षों में...मेरे तईं यह कविता है . पिछले पच्चीस-तीस वर्षों में कविताएं पढते हुए जितनी भी मेरी कविता की समझ बनी है , उसके हिसाब से . <BR/><BR/>आलोचक/समीक्षक कविता पर अपनी राय दे . पर हेडमास्टर की तरह कवि को यह न बताए कि उसे कविता कैसे लिखनी चाहिए . अगर आलोचक/समीक्षक ने आदर्श कविता लिखने का रहस्य खोज लिया है तो उसे दस-बीस मॉडल कविताएं लिखकर इस शोध को सार्वजनिक कर देना चाहिए ताकि नये और प्रशिक्षु कवि लाभान्वित हो सकें .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-72953218772115431322007-07-16T16:00:00.000-07:002007-07-16T16:00:00.000-07:00Ye kavita padh kar aisa hi laga jaise kabhi kisi S...Ye kavita padh kar aisa hi laga jaise kabhi kisi SRCC ke student ko dekhkar lagta hai ki kya esse Devnagri padhni aati hogi?sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-54432834090012069392007-07-13T05:12:00.000-07:002007-07-13T05:12:00.000-07:00ठीक है.. मगर इसे कविता मत कहो अविनाश.. कविता के दा...ठीक है.. मगर इसे कविता मत कहो अविनाश.. कविता के दायरे अनुभूतियों और संवेदनाओं के लिए सुरक्षित रहने दो.. संगीत तो पहले ही गया कविता से .. अब बकिया भी बुहार दोगे तो बचेगा क्या.. (अब ये मत कहना कि श्रोत्रिय की कविता में संगीत है)..<BR/>ये गद्य है.. इसे गद्य की तरह लिखो.. तोड़ तोड़ कर नहीं.. तो क्या फ़रक पड़ेगा.. ? और अगर कविता हुई तो तब भी पहचानी जाएगी..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-46242639945867408962007-07-13T03:18:00.000-07:002007-07-13T03:18:00.000-07:00कविता के माध्यम से बातों को सपाट ढंग से आपने दिल्ल...कविता के माध्यम से बातों को सपाट ढंग से आपने दिल्ली और दरभंगा तक पहुंचा डाला...........Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-90356979704111487222007-07-12T23:12:00.000-07:002007-07-12T23:12:00.000-07:00वाह वाह भाई,मज़ा आ गया। ये अपना भी दर्द है मगर कवि...वाह वाह भाई,मज़ा आ गया। ये अपना भी दर्द है मगर कविता की ज़बान में कहने की भद्रता कभी नहीं दिखाई। हिन्दी की बेइज्जती पर हमेशा तल्खी के साथ ही बहसें हुई हैं। तल्खी आपके अंदर भी है पर कविता के माध्यम से सौम्यता के साथ अपनी बात कही। बधाई । अच्छा लगा।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-79432136329018526512007-07-12T22:29:00.000-07:002007-07-12T22:29:00.000-07:00कोई सिन्हा साहब किसी अरुण कमल को नहीं जानते!/ कोई...कोई सिन्हा साहब किसी अरुण कमल को नहीं जानते!/ कोई खन्ना साहब किसी हिंदी को नहीं जानते!<BR/><BR/>भई यह सच है जो हम हिन्दी वाले नहीं स्वीकार करना चाहते। आप ऐसे भी संवाद कर सकते हैं, पढ़ कर अच्छा लगा।ढाईआखरhttps://www.blogger.com/profile/01652717565027075912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-46806313177639954692007-07-12T21:19:00.000-07:002007-07-12T21:19:00.000-07:00इसे हिदी वाले ब्लाग पर डाल दिया है।इसे <A HREF="http://hindibhashablog.blogspot.com/" REL="nofollow">हिदी वाले ब्लाग</A> पर डाल दिया है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-37621781888788668472007-07-12T21:13:00.000-07:002007-07-12T21:13:00.000-07:00सही है, सिपाही.. लगे रहो. बीच में मौका लगे तो इसे ...सही है, सिपाही.. लगे रहो. <BR/>बीच में मौका लगे तो इसे <B>हिन्दी</B> वाले ब्लॉग पर भी चढ़ा दो.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.com