tag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post1771460238868684230..comments2023-09-10T00:45:43.086-07:00Comments on दिल्ली दरभंगा छोटी लाइन...: पहली पातीAvinash Dashttp://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-46702229677987585962007-05-03T00:25:00.000-07:002007-05-03T00:25:00.000-07:00अविनाश, अपने कमरे का वेंटिलेशन ठीक रखना, सीलन नहीं...अविनाश, <BR/>अपने कमरे का वेंटिलेशन ठीक रखना, सीलन नहीं भरने देना, टाॅयलेट की साफ सफाई के ख़ास ख्याल रखना, अंगवस्त्रों को बेतरतीबी से मत फैलाना क्योंकि कभी भी कोई भी तुम्हारे कमरे में आ सकता है... उसे बैठने बेशक ना दो लेकिन झांक कर तो जा ही सकता है। कभी कमरे में घुटन हो तो सत्य की वादी में विचर लेना। ठहरने का पता है http://valleyoftruth.blogspot.com/थोड़े कहे को ज़्यादा और इस चिठ्ठी को तार समझना। बाक़ी बातें होती रहेंगीही- उमाशंकर सिंहउमाशंकर सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17580430696821338879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-47479691139062166672007-05-01T07:42:00.000-07:002007-05-01T07:42:00.000-07:00चलिए अविनाश भैया आप अब अपनी बात कहते नजर आयेंगे.मो...चलिए अविनाश भैया आप अब अपनी बात कहते नजर आयेंगे.<BR/>मोहल्ले को अपना काम करने दिजिए और यहां आप किजीए..हमलोगो को को तो दोनो तरफ से फायदा ही है....Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-59306161179531800762007-04-04T05:15:00.000-07:002007-04-04T05:15:00.000-07:00अविनाश जी आपकी उम्मीद पढ़ी.. उम्मीद से भी बढ़कर नि...अविनाश जी आपकी उम्मीद पढ़ी.. उम्मीद से भी बढ़कर निकली. साधुवाद. मेरे ब्लाॅग पर मेरी भी उम्मीद चस्पां है. उम्मीद है कि आप मेरी उम्मीद को पढ़कर उस पर प्रतिक्रिया देंगे. मेरे ब्लाॅग का पता है-<BR/>bhagjogni.blogspot.com<BR/>मंजीतManjit Thakurhttps://www.blogger.com/profile/09765421125256479319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-34683572764003684692007-04-02T02:04:00.000-07:002007-04-02T02:04:00.000-07:00बहुत दिन स अहाँक के ई मेल करय के सोचि रहल छलहूँ......बहुत दिन स अहाँक के ई मेल करय के सोचि रहल छलहूँ...आशा जे अहाँ ठीक होयब।जेएनयू आऊ।Arvind Dashttps://www.blogger.com/profile/04454157250490714006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-2596015226053592252007-03-23T20:21:00.000-07:002007-03-23T20:21:00.000-07:00ये आपने अच्छा किया। नाम अच्छा रखा है। धन्यवाद।ये आपने अच्छा किया। नाम अच्छा रखा है। धन्यवाद।चंद्रप्रकाशhttps://www.blogger.com/profile/14218549350731702452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-78468959883074873232007-03-22T09:41:00.000-07:002007-03-22T09:41:00.000-07:00यह अच्छा किया अविनाश आपने। दोस्तों को साथ लेकर मोह...यह अच्छा किया अविनाश आपने। दोस्तों को साथ लेकर मोहल्ला बसाने के बाद अलग से निजी घर भी बना लिया, ताकि मोहल्ले में जब कभी कोलाहल और शोर बहुत बढ़ जाए तो चैन की सुकून भरी साँसें लेने के लिए अपने घर की खटिया पर बीच-बीच में आराम कर सको। <BR/><BR/>और हाँ, इस घर में मुक्ता जी का कमरा तो दिख ही नहीं रहा। हमलोग उनके शब्दों को भी चिट्ठे पर पढ़ना चाहते हैं। पिछली बैठक में हमने उनसे अनुरोध भी किया था और हमें आश्वासन भी मिला था।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-33190983754228934072007-03-22T09:26:00.000-07:002007-03-22T09:26:00.000-07:00वाह..लोग पहले घर बना के फिर मोहल्ला बनाते हैं..तुम...वाह..लोग पहले घर बना के फिर मोहल्ला बनाते हैं..तुमने तो उलटा किया पहले हल्ला कर कर के मोहल्ला आबाद करा अब घर में घुस के सोना चाहते हो.. वो भी अपने कमरे में.. बहुत खूब!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.com