tag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post3200079910572325718..comments2023-09-10T00:45:43.086-07:00Comments on दिल्ली दरभंगा छोटी लाइन...: हिंदी मेरी भाषाAvinash Dashttp://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-40254724596276273472007-11-28T00:45:00.000-08:002007-11-28T00:45:00.000-08:00"मैं अपनी हिंदी में खोजना चाहता हूं गाँवएक शहर जहा..."मैं अपनी हिंदी में खोजना चाहता हूं गाँव<BR/>एक शहर जहाँ दर्जनों तहजीबें हैं<BR/>वे सारे मुल्क़ जहाँ हमारे अपने बसे हुए हैं...........<BR/><BR/>हिन्दी बोलने वालों का दर्द उभर कर आया है आपकी इन पंक्तियों में....हिन्दी का विकास हो इसके लिए <BR/> हर मुल्क की तह्ज़ीब को आत्मसात करना ज़रूरी है.डाॅ रामजी गिरिhttps://www.blogger.com/profile/08761553153026906318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-65924221165542636812007-09-30T01:00:00.000-07:002007-09-30T01:00:00.000-07:00हिन्दी को जितना पढ़े-लिखों ने सताया है ..गाँवों ने ...हिन्दी को जितना पढ़े-लिखों ने सताया है ..<BR/>गाँवों ने उतना दुलराया है<BR/>फ़जीहतें की है मादरीज़ुबान की<BR/>इसका माथा झुकाया है<BR/>सह्र्दय होकर ज़ुबान को नहीं अपनाएँगे<BR/>अपने ही मुलुक में पराए हो जाएँगेएक पंक्तिhttps://www.blogger.com/profile/09512951673791168585noreply@blogger.com