tag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post7871305093854759842..comments2023-09-10T00:45:43.086-07:00Comments on दिल्ली दरभंगा छोटी लाइन...: ये दरअसल हमारे मुल्क की वीरानी हैAvinash Dashttp://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-33235292345754100312007-09-04T11:17:00.000-07:002007-09-04T11:17:00.000-07:00अच्छा तो अविनाश से एकांत मुलाकात यहां हो सकती है.ज...अच्छा तो अविनाश से एकांत मुलाकात यहां हो सकती है.जिंदा रहेंगे विचार और हमारे अनुभव,अगर हम उन्हें बेखौफ बांट सके.चवन्नी को यह मुलाकात अच्छी लगी.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/04134804836581715955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-34064275888540141612007-08-25T23:50:00.000-07:002007-08-25T23:50:00.000-07:00पहले तो आपका ये लेख पढ़ चुका था..अभी फिर प्रमोद भाई...पहले तो आपका ये लेख पढ़ चुका था..अभी फिर प्रमोद भाई के लेख से आया तो आपा का बी बी सी वाला interview सुना सचमुच मजा आ गया..जब मैने भी "आग का दरिया" पढ़ा था 1989 में..तब पहली बार समझ नहीं आया था..दुबारा पढ़ा ..तब समझ आया..समझ क्या आया हम आपा के मुरीद हो गये.. और बी बी सी में परवेज आलम को तब से सुनते थे जब वह बाल जगत करते थे..और राज नारायण बिसारिया , कैलाश बुधवार ,ओंकारनाथ श्रीवास्तव कितने तो नाम हैं जो प्रेरणा थे.. शुरु वाली आवाज शायद विसारिया जी की थी....<BR/><BR/>आपको और अनामदास जी को ढेरों धन्यवाद.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-22397534700053900622007-08-25T06:05:00.000-07:002007-08-25T06:05:00.000-07:00आपा के आखिरी सफर को आपने जीवंत किया है...हम जिसे भ...आपा के आखिरी सफर को आपने जीवंत किया है...<BR/>हम जिसे भूलते जाते हैं...वह शायद कहीं कोने में छूपा सा रह जाता है..<BR/>हम आपा को याद नहीं दिलमे रख रहे हैं.........Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-17444008272014139962007-08-22T21:36:00.000-07:002007-08-22T21:36:00.000-07:00दोस्तोबीबीसी हिंदी के आर्काइव से ढूँढकर कुर्रतुल ए...दोस्तो<BR/>बीबीसी हिंदी के आर्काइव से ढूँढकर कुर्रतुल एन हैदर का एक इंटरव्यू निकाला है जो 1992 में रिकॉर्ड किया गया था. इस इंटरव्यू में वे अपने उपन्यास चाँदनी बेगम का एक हिस्सा पढ़कर सुना रही हैं, क्या गज़ब अंदाज़ है. सुनिए. मैं उनसे एक बार मिला भी था जब पत्रकारिता में स्ट्रगल कर रहा था लोगों ने बहुत डरा दिया था कि बहुत जल्दी नाराज़ हो जाती हैं, बात सही थी. वे थोड़ी चिड़चिड़ी सी थीं लेकिन जिस दिमाग़ में एक दर्ज़न बेहतरीन उपन्यास लिखने का मसाला भरा हो, उसमें इतनी खटपट बहुत मामूली बात थी. रामायण महाभारत के जैसी कृतियों के देश में उपन्यासों का एक अकाल रहा है कुछ गिने-चुने रूतबे वाले जो नाम थे उनमें से एक थी कुर्रतुल एन हैदर. <BR/> <BR/>रवीश का शोर मचाना वाजिब था, और अच्छा लगा. मैंने भी अपने यहाँ काफ़ी शोर मचाया और तीन लोगों को आर्काइव की छंटाई में लगाया गया तब ये टेप मिला. वैसे आठवें से दसवाँ मिनट कमाल है, अगर आप पूरा न सुन सकें. वैसे पूरा सुनिए. आग का दरिया भी पढ़िए, प्रमोद जी सलाह में मेरी सलाह शामिल है. वैसे, जब मैंने पढ़ी थी तब ज्यादा कुछ बुझाया नहीं था, दोबारा पढ़ना चाहिए.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-51912192863334912982007-08-22T05:59:00.000-07:002007-08-22T05:59:00.000-07:00मुझे ये पता नही की कितने लोग 'आपा' को जानते है ......मुझे ये पता नही की कितने लोग 'आपा' को जानते है .... शायद इसलिए की देश के बड़े बड़े devlopment जानने नही देते हैं ... हमारी कोशिश और हमारा रुदन बेमानी है ... जब तक 'आपा' को न्यूज़ की तरह ट्रीट करेंगे व्हीयूज की तरह नहीं...आपा का एकाकीपन नहीं जाने वाला ...निशान्तhttps://www.blogger.com/profile/06289698191935366227noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4361803836401417947.post-33821385334450071232007-08-22T02:00:00.000-07:002007-08-22T02:00:00.000-07:00ऐनी आपा का आखिरी सफर आपने देखा और दुखी हुए, हम आपक...ऐनी आपा का आखिरी सफर आपने देखा और दुखी हुए, हम आपके दुख में आपके साथ हैं. टीवी वाले न हों तो कोई-कोई अकेले ही मृतक को शमशान-कब्रिस्तान पहुंचाता मिलेगा.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.com