Friday, January 30, 2009

हालांकि अब भी लोग काम कर रहे हैं!

वहां जहां जीवित लोग काम करते हैं
मुर्दा चुप्पी सी लगती है जबकि ऐसा नहीं कि लोगों ने बातें करनी बंद कर दी हैं
उनके सामने अब भी रखी जाती हैं चाय की प्यालियां
और वे उसे उठा कर पास पास हो लेते हैं
एक दूसरे की ओर चेहरा करके
देखते हैं ऐसे जैसे अब तक देखे गये चेहरे आज आखिरी बार देख रहे हों

सब जानते हैं पूरा वाक्य लिखना और अधूरे वाक्य के बाद उनका दिमाग सुन्न पड़ जाता है
एक लंबे अभ्यास की छाया में मशीनी रूप से पूरे होते हैं वाक्य
और जिनमें अनुपस्थित रहता है एक सचेत नागरिक और निष्पक्ष पत्रकार
ये अनुपस्थिति तो यूं भी रहती आयी है
लेकिन हालात बताने के लिए
तमाम विरोधाभास के बावजूद इसका ज़िक्र अभी ज्यादा जरूरी है

बचत के लिए कम की गयी रोशनी और बांटे गये अंधेरे में
आशंका की आड़ी तिरछी रेखाएं स्पष्ट आकृति में ढल रही हैं
सबके पास इसका हिसाब नहीं है कि दो महीने बाद मकान का किराया कैसे दिया जाएगा
राशन दुकानदार से क्या कहा जाएगा
और जिनके बच्चे हैं वे उनकी ज़िद को ढाढ़स के किस रूपक से कमज़ोर करेंगे

हालांकि अब भी लोग काम कर रहे हैं
और उन्हें काम से निकाला नहीं गया है!

Read More