Tuesday, September 14, 2010

हरा रंग और हरी बांसुरी

मेरी बेटी को हरा रंग बहुत पसंद है। यही वो रंग है, जिसे उसने ठीक ठीक पहचान लिया है। उसकी कोई भी फरमाइश हरे रंग से शुरू होती है। कैसा गुब्‍बारा चाहिए, ग्रीन वाला। वह उजले और लाल रंग को भी पहचान लेती है, लेकिन चाहिए उसे कोई चीज ग्रीन वाली ही।

अभी कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के दिन उसे स्‍कूल से बांसुरी मिली। उसे फूंक कर आवाज निकालती है और कहती है, ये मेरा फ्ल्यूट है।

आज दोपहर का किस्‍सा है। हम सब खाना खा रहे थे। वह खुद से अपना प्रिय घी-भात खा रही थी। अचानक बांसुरी की आवाज आयी। वह चौंकी। बालकनी की तरफ भागी। मैं भी पीछे पीछे गया। बांसुरी वाला दूर निकल गया था। मैंने जोर की हांक लगा कर उसे वापस बुलाया। दस रुपये से सौ रुपये की रेंज तक की बांसुरी उसके पास थी।

हरे धागे से बंधी हुई एक बांसुरी थी। 80 रुपये की। वह जिद ठान बैठी कि उसे वही ग्रीन वाली फ्ल्‍यूट चाहिए। पर उसकी फांक बड़ी थी और उसके लिए उसे फूंकना असंभव था। पर असल बात इस कड़की में उसकी जिद के लिए 80 रुपये खर्च करने से बचने की थी। मैं नीचे गया और दस रुपये की एक बांसुरी ले आया। पर हरे की जिद ने उसके पांव और आंख को पागल कर दिया। वह पांव पटकती रही। चीखती-चिल्‍लाती रही। रोती रही। आंख से आंसू आते रहे।

उसकी मां ने दस रुपये की बांसुरी को हरे स्‍केच से रंगने की कोशिश की, लेकिन उसे सारा फ्रॉड समझ में आ गया। उसने रोना धोना जारी रखा कि उसे तो वही वाला फ्ल्‍यूट चाहिए - जिसमें ग्रीन वाला धागा बंधा था। वह अधीर हो रही थी और हम, उसे कैसे संभालें, इस फिक्र में नये नये तरीके सोच रहे थे।

इसी आपाधापी में मुक्‍ता अपनी थाली बालकनी की दीवार पर छोड़ आयी। थोड़ी ही देर में देखा कि सुर का सुर अचानक बदला और वो हंसने लगी। उसकी नजर बालकनी की दीवार पर रखी मां की थाली पर थी, जिसके पास एक गिलहरी आ गयी थी और भात के दाने चुन चुन कर खा रही थी। वह खुश हो गयी और हरी वाली बांसुरी भूल गयी। हम सब फिर उसी एक दृश्‍य में रम गये।

सुर की जिद, उसे मनाने की कोशिशें और फिर बिना मनाये हुए किसी और मामले में उसकी हंसी इन दिनों हमारे घर में रोजमर्रा का जीवन प्रसंग हो चला है।

22 comments:

ASHOK BAJAJ said...

आपका पोस्ट सराहनीय है. हिंदी दिवस की बधाई

विनीत कुमार said...

क्या बात है,सुर से मिलने का मन है।.किसी दिन जरुर मिलूंगा।..

Vatsala Shrivastava said...

रंग का आकर्षण हम समझ सकते हैं, हमको बचपन में नीला दूल्हा चाहिये था! सुर को प्यार!

sulabh said...

और ले आयीं गोरा-चि‍ट्टा।.....सुर, तुम हरा ही लेना।....सुर के लि‍ए आशीष

prabhat gopal said...

aaj subah-subah ek achi post padhi.... sur hamesha khush rahe... yahi kamna hai..

सुशील छौक्कर said...

यही तो जिंदगी है अविनाश जी पल में रोना और पल में हँसना। अजी हरा रंग ही भी तो अच्छा, आँखो को भाता ,मन को भाता। बहुत प्यार और आशीर्वाद देना बेटी को हमारी तरफ से

vandana gupta said...

यही तो बचपना होता है जिस मे हर कोई भीग जाता है। बिटिया को प्यार्।

सत्यानन्द निरुपम said...

wah re bachpan ka sur, kabhi ye kabhi wo!! sur ke bachpan ko dekhne ka man ho raha hai, bekabu...

jald hi milne ki jugat banani padegi.

ek alag si baat: apke likhe se hamein khushi ho rahi hai :)

Rakesh Kumar Singh said...

गिलहरी ने आपको बचा लिया. पर कितने दिन बचेंगे? वैसे भी हम लोगों को बच्‍चों की फरमाइश को कड़की और महंगाई के आगे रखकर तौलने की आदत हो गयी है. उपाय भी तो नहीं है :)

रंग तो ये है कि किलकारी पिंक - पिंक रटते-रटते अपना नाम बदलकर पिंकी रखने का जिद ठान लेती है ...

sushant jha said...

lajawab....jaari rahein...sur ko dekhe saal bhar se upar ho gaye hain....

Anonymous said...

bahut khoob. apanee betee kee jiden usaka hansana ronaa aur phir hans denaa sab aakhon ke aage tairane laga. humlog bhee aise hee dino ka sukh jee rahe hain. badhai!

RAKESH BIHARI

Udan Tashtari said...

यही तो है रोजमर्रा की जिन्दगी...

नीरज दीवान said...

अद्भुत सरलता है लेखन में..
कहां सामाजिक ज्वलंत समस्याओं पर धांसू-खुर्राट शैली और आज कहां बालमन पर सरल आलेख. अद्भुत.. बहोत अच्छा लगा.. वीडियो भी :)

PD said...

:)
वैसे याद है हम लुक्खी किसे कहते थे? :D

PD said...

ये कमेन्ट वीडियो देखने के बाद..
मेरे को तो बौत मज्जा आया..
मेरे को तो बौत मज्जा आया..

बिटिया और भाभी की आवाज बहुत दिनों बाद सुने हैं.. :)

अभय तिवारी said...

बहुत दिनों बाद तुम को पढ़ा.. अच्छा लगा.. बिटिया को आशीर्वाद!

रंजन said...

बच्चों की जिद.. हर पल ऐसी ही हरकतें आदि भी करता रहता है..

रंजन said...

बहुत प्यारा नाम है सुर..

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

सुर के बारे में यूं जानना अच्छा लगा!

neeta said...
This comment has been removed by the author.
neeta said...

like it.

neeta said...

hara rang khushhali ka prteek he.love to sur beetiya.